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छोरी होली कई खेले

narayani
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तू तो छोरी हे ,  छोरा के साथ कई हुडदंग करे
” तो माँ भय्यो क्यों गयो / वा पे हे कित्ती सारी छोरी”  
अरे जावा दे उतो हे छोरों यज तो उम्र हे उकी खावा खेलवा की /
बहु जल्दी से रसोई मे जा  सबका वास्ते नाश्तो बनाईदे
फिर होली वाला हुड़दंगी आई जावेगा
घर का आदमी भूखा ज चलिया जायेगा

तो .आपणे चला बाई होली खेलवा
चुप रे तेवारके दिन घर छोड़ी ने का जानो
कोई आवे जावे तो हंसे
घर की बैरा होली खेलवा गयी

वा मन में सोचवा लगी के
छोरा गया   तेवार  
के दिन घर छोड़ी ने
तो छोरी ने क्यों नि जवादे

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