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अभी अभी नव रात्रि पर्व गया हे
सबने खूब पूजा अर्चना व्रत किये
जागरण जगराते भजन हुए
पर एक बात मन में कई
सवाल बुनकर उलझन में ll कर नये सवाल खड़े कर गयी .जब अख़बार में खबर छपी की/*पूजा के लिए कन्या नही मिली //
*/अभी यह हाल हे तो कुछ समय बाद
हम क्या कहेंगे की
/*कंजक //पूजन में चली कन्या मिली न कोई
*/घर में कन्या न जन्मे .तो बाहर कहा से होई
वंश बढ़ेगा बेटे से .चाहे हे सब कोई
दादी ,नानी ,काकी मामी बुआ ,मासी
सब भी तो हे नारी
फिर कन्या को जन्म न देना
ऐसी क्या लाचारी
बेटे का घर तभी बसेगा
जब होगी कोई नारी
ईश्वर दे रहा तुम्हे ,कन्या रूप में सोगात
तो झोली भर लो .इसे करो आत्मसात
क्या तुमको मालूम नही हे .इस नेमत से
खाली रह गये .राजा महाराजा के हाथ
आओ ह्रदय से स्वीकारे हम बेटियों को
अरे वंश तू बढाती हे .शान तू बढाती हे
फिर तेरे ही जन्म से .शान क्यों घट जाती हे
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