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देश को अपना तो समझो
पूज्य अन्नाजी आपकी मुहीम, सबको नही आ रही रास.
देश हित को छोड़ अटकी, निजी स्वार्थ में साँस .
कुछ तो सीखो उन बे-नामो से भी .
या नाम का डंका ही पिटते रहोगे .
बहुत पुरानी नही यह बात जो न हो सबको याद .
एक देश प्रेमी वो था, जब देश केवल क्रिकेट में हारा.
तो उसकी रुक गयी, ह्रदय गति .
एक देश प्रेमी वो था, जब देश केवल क्रिकेट में जीता .
तो उसकी रुक गयी, ह्रदय गति .
वो दोनों ना तो नामी थे, ना सरकार में, फिर भी देश प्रेम अनोखा .
देश की हार या देश की जीत का सुख दुख, किसी भी क्षेत्र में हो .
देश प्रेमियों की अटका देती हे साँस.
लेकिन अब जो तमाशा चल रहा हे,
देश प्रेम की आड़ में, रोड़े अटका रहे अन्ना ज़ी की राह में .
उससे नही आ रही क्या? निजी स्वार्थ की बास
पर अन्नाजी अटल रहो, आप प्रणेता हो
स्वामी विवेकानन्द के देशवासी हो, हिन्दुस्तानी हो
कोई नही साथ तो क्या, जनता तो है आपके पास
एकला चलो रे, हमे आप पर है विश्वास.
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