narayani
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अंश
जब मैं, आपका अंश ,अपनी माँ की कोख में आया
आपका बढेगा वंश ,यह सोच आपका मन हर्षाया
माँ की कोख में ही था ,हरदम आपने मुझ प्यार लुटाया
आया जब में इस दुनिया में ,आपने अपना प्रतिरूप पाया
अचानक क्या हुआ सहमा में ,मुझ पर से हट गई आपकी छाया
हे मेरे जनक ये क्या हुआ ,किस छलावे में आपका मन भरमाया
पृथ्वी में पोधा रोपे माली भी तो ,उसका ध्यान रहता उसी में समाया
पर ये क्या मेरे जनक ,रुपहली सुनहली रूप की पड़ी आप पर छाया
अपनी उसी चकाचोंध में भूले सब ,पौधा था आपका नन्हा आपने मुझे भुलाया.
नारायणी
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