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बेटी मेरी जाई, तो कैसे पराई – Jagran Junction Forum

narayani
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बरसता तो है सावन,पर मेरी बेटी
तेरे आंसुओ की झड़ी ज्यादा है

तपता तो है सूरज, पर मेरी बेटी
तेरे सुलगते हुए ह्रदय की अगन ज्यादा है

समुन्दर गहरा है ज्यादा,पर मेरी बेटी
आँखों में नमी तेरे ज्यादा है

वंश चलता बेटो से,इसकी चर्चा ज्यादा है,पर मेरी बेटी,
तू है अंश मेरा, इसका गर्व मुझे ज्यादा है

रिश्ते तो सभी प्यारे ज्यादा है, पर मेरी बेटी,
तुझसे मेरा रिश्ता गहरा ज्यादा है

हर रिश्ते को मुझसे प्यार ज्यादा है, पर मेरी बेटी,
मेरे प्यार की कीमत तुझको ज्यादा है

तुझे न दे सकी खुबसुरत दुनियां
इसका दर्द मुझे ज्यादा है, पर मेरी बेटी

अपने दर्द से बढकर तुझे मेरे दुःख का एहसास ज्यादा है
किसी ने तुझे मान न दिया, पर मेरी बेटी

मुझे तेरा मान ज्यादा है
आज हार गई मैं दुनिया की जंग, पर मेरी बेटी

तुझे जीत मिले वो इरादा, मेरा ज्यादा है
आज कंकिर्ण पथ भले ही हो, पर मेरी बेटी

तेरी राहों में फूल खिलाउंगी ये मेरा वादा ज्यादा है
लोग कहते होंगे बेटी को पराई, पर मेरी बेटी

मेरे लिए तो तू हकीकत है, मेरी जाई ज्यादा है …

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