narayani
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दामिनी तुम नही हुई बेआवाज
तुम तो हो एक कड़कडाती गाज …………
जो गिरती है घडघडा कर,
तो ध्वस्त हो जाते हैं
राजा महाराज के राज ….
अरे कायरो क्या तुम्हे पता नही
नारी से है तुम्हारे घर, वंश की शानो साज …..
चुल्लू भर पानी की भी दरकार नही थी
शर्म से ही वही मर जाते तुम ,
जब मन तुम्हारा कलुषित हुआ ,
एक अबला की लूटने को लाज ……
नारी शक्ति रौद्र हो गई अगर ……
तुम्हारे झूठे पुरुषत्व के उतर जायेंगे ताज
बहन बेटी के रखवाले कहे जाने वाले
तुम बन गये गिद्ध ,बाज
शर्म से नजरे न उठ पा रही अब
कहा है हिन्दुस्तानी सभ्यता का नाज
दामिनी तुम यही हो यही हो
हर दिल सिसक रहा तुम्हारे लिए आज
नारायणी
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