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”क्यों न समझी पीड़ा ”

narayani
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”क्यों न समझी पीड़ा ”

जन्म पर न बजी बधाई – मेरे
बेटे को जन्म दे दिया – मैने
नगाड़े बज उठे अंगना मैरे
भेद तो ये अपनो ने ही करे

सरेआम खुद को शर्मसार कर
कोख को लजा दिया मेरी
अब क्या बजना बाकी है???????????
इस घिनौनी हरकत पर तेरी

… नारी हूँ ,नारी ही ना समझ
बिगड़ी तो काल बनूंगी तेरी
तू अदना सा आदम क्या जाने
ऋषि, देवो ने की स्तुति मेरी

जब श्रापित होओगे पीड़ा से मैरी
किसी जन्म में मुक्ति नही तेरी
न बजेंगे तेरे आगमन में ढोल
विजयी पताका न दुन्दुभि भेरी
नारायणी

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