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”कमीज ”

narayani
narayani
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”कमीज ”
कमीज तो ढेरो होंगी तुम्हारे पास
आसमानी ,सफेद ,हरी
कितने ही रंगो की
पर मेरे पास तुम्हारी
एक कमीज है मेरे बेटे
मैने जाते समय तुमसे कहा था
ले जाओ इसे
पर तुमने कहा नही ”माँ’
इसे यही वापस आकर पहनूंगा
… धोकर ,सुखाकर अपने हाथो से …..
तहकर रखी है मैने उसे
कई बार तुम्हारी यादो के आंसू
उस कमीज में छुपा दिये
देर न करना आने में
वह कमीज मेरे आंसुओ से
इतनी ना भीग जाये
की तुम फिर उसे न पहनो
डर नही मुझे तुम्हारे विछोह का
दर्द है तुम फिर न पहन पाओ
यहा आकर ,देखकर न कहो
”माँ’यह तो भीगी है .

नारायणी

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