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”पिता और माता ”

narayani
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                      ”पिता और माता ”

‘माँ” की ममता का यदि कोई मोल नही
”पिता ” के प्यार का भी कोई तोल नही
”माँ” के आंचल की ठंडी छांव यदि भूलती नही
”पिता ” की कसकर पकड़ी अंगुली छुटती नही
”माँ ” बच्चो की प्रसव पीड़ा ,दर्द , झेलती सही
”पिता ” उम्र भर बच्चो को दर्द ,कभी देते नही
”माँ ‘ की गोदी स्वर्ग जैसा परम सुख देती सही
”पिता ” की पीठ पर लद ब्रह्मांड का सुख पाया कही
”माँ”’ रूठती तो कहती अब कभी बोलूंगी नही
‘पिता ”को न बोलने का ख्याल भी आता नही
”माँ ” जीवन के सुर ताल लय की ध्वनि सही
”पिता ” सी सरगम की झंकार का सानी नही
”माँ’ से मान मेरा है ,जीवन , झलक है मेरी कही
”पिता ” से सम्मान मेरा ,मैरी छत्रछाया है वही
”माँ ‘ जननी है ,महान है ईश्वर रूप सब कहते है सही
”पिता ” ईश्वर दत्त वरदान क्या छुप सकेगा कही
नारायणी

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